बगड रत्न श्री भागीरथ सिंह जी भाग्य

       इनका जनम ५ जुलाई १९५५ को बगड़ कस्बे में हुआ था | इनके पिता स्व.श्री मोती सिंह जी शेखावत और माता जी स्व.उगम कंवर थी | इनका ननिहाल कांटी (हरियाणा) में चौहान परिवार में है |

    
     श्री भागीरथ सिंह जी की प्रारम्भिक शिक्षा बगड़ में ही हुयी थी | उसके बाद हिन्दी में एम ए मोती लाल कालेज झुंझुनू से किया | तथा बी एड भी बगड़ बी एड कालेज से ही की |

     बी .ए . करने के बाद १९७८ मे मुम्बई में पीरामल स्पिनिंग मिल में क्लर्क के रूप में ११ माह काम किया | वहां के अनुभव के रूप में इन्होने एक किताब लिखी जो दर्द दिसावर के नाम से प्रकाशित हुयी और बहुत प्रसिद्ध हुयी |

      श्री भागीरथ सिंह जी को राजस्थान के गाँवों कस्बो के साथ साथ ही भारत के विभिन्न शहरों में भी राजस्थानी काव्य पाठ के लिये बुलवाया जाता है | इनका पूरा जीवन काव्य को समर्पित है |बगड़ कस्बे की राम लीला को प्रसिद्ध करने में भी इनके अभिनय का बहुत बड़ा योगदान है | इस लीला में इन्होने रामायण के विभिन्न पात्रों का जीवंत अभिनय किया है | राम ,रावण,जनक,दशरथ आदि का अभिनय किया है | बगड़ राम लीला के आयोजक श्याम मंडल में भी ये पदाधिकारी है | आजकल बी एल स्कूल में अध्यापक के रूप में अपनी सेवा दे रहे है |

       इनकी पुस्तक दर्द दिसावर को जिला कलक्टर जयपुर ने सम्मानित किया | १९८३ में जयपुर का बिहारी पुरस्कार प्रदान किया गया |१९८६ में बीकानेर में युवा कवी का पुरस्कार दिया गया | इन्हें साहित्य सेवा हेतु जिलाधीश झुंझुनू द्वारा बगड़ रत्न कि उपाधी से अलंकृत किया गया | २००६ में शाहपुरा (भीलवाडा) में लोक कवी का सम्मान प्रदान किया गया |

       अब इनके सुपुत्र गुंजन सिंह शेखावत भी पत्रकारिता के क्षेत्र में लेखन कार्य करते हुए इस वंश परम्परा को आगे ले जा रहे है |

3 comments:

  1. गर्व है ऐसी प्रतिभाओं पर | भागीरथसिंह जी को ढेरों शुभकामनाएँ |

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  2. भागीरथ सिंह जी की एक कविता 'एक छोरी कालती,म्हारो खेत रुखालती ' बगड़ में एक कार्यक्रम में उनके श्रीमुख से मैंने भी सुनी है वाकई काव्य के क्षेत्र में भाग्य जी का बड़ा योगदान है

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  3. me bhagirath singh ji ka ak fan hun ,ak chhori kaalati too pasand ha hi, eski alaawa bhi inki rachnaa mujhi bahut hi pasand han. sekhawati ke is kavi ko mera parnaam ha...... karmvir katewa ,kanwarpura ,jhunjhunu ,raj.

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