श्री चावो वीरो मंदिर ,बगड


मंदिर का अंदर का द्वार

श्री चावो वीरो मंदिर अपनी भव्यता से सबको प्रभावित करता है | हिन्दू धर्म में शक्ती पूजन का विशेष महत्त्व है | क्यों कि इन्होने गृहस्थ जीवन का किंचित मात्र भी उपयोग नहीं किया है |

शक्ति चावो दादी
साढे पांच सो वर्ष पूर्व बगड़ के एक वैश्य परिवार में वीरवर सूरजमल हुए थे | सूरज मल जी का विवाह हिसार जिले के छोटे से गाव तिगडाना के निवासी कल्लू राम जी महाजन की सुपुत्री चावली से हुआ था | विवाह के बाद दम्पति का मुकलावा (गोना )भादवा सुदी ६ का निश्चित हुआ | सूरज मल जी अपने साथियों सहित भादवा सुदी ५ को मुकलावे के लिये ससुराल रवाना हुए |

दुर्भाग्य से रास्ते में डाकूओं से मुठभेड़ हो गयी | वीरवर सूरजमल जी ने अपने पराक्रम और शोर्य से डाकुओ के छक्के छुडा दिए और भाग जाने पर विवश कर दिया | इस संघर्ष में सूरजमल जी घायल हो गए | इस कारण दुसरे दिन इनका निधन हो गया | उसी रात्री को उनकी पत्नी चावो को स्वप्न में वह सारी घटना दिखाई दी | तथा उन्हें आदेश मिला कि वो तत्काल ससुराल पहुच जाए जिससे वे दोनों साथ साथ परलोकवास गमन कर सके चावो जी इस आज्ञा को शिरोधार्य कर के ससुराल पहुचा गयी और अपने पति के साथ ही अपने शरीर की आहुती दे दी |

तब से वर्तमान तक चावो दादी की महिमा गाई व सुनी जाती है | आज इस स्थान पर बहुत विशाल मंदिर बनाया हुआ है | इसमें यात्रियों के लिये बहुत सारे कमरे बने हुए है और खाने पीने की भी बहुत उत्तम व्यवस्था है | | जिसमें बाहर से आये हुए यात्री रुकते है , वैश्य परिवार अपने जात जडुले करते है |
मंदिर के आंतरिक हिस्से में बनी शिव प्रतिमा और जटा में बहती धारा

3 comments:

  1. चावो सती के पौराणीक महत्व से अवगत कराने के लिए धन्यवाद !

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  2. Esker ceo se request hai immediately call 9323757275 or share his mobile

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